यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवताओं का निवास होता है। इस संकल्प सूत्र के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश महिला सशक्तीकरण का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। शिक्षा,सुरक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार की बात हो अथवा सामाजिक न्याय और राजनैतिक भागीदारी की। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रतिबद्ध रही है। परिणामस्वरूप सभी क्षेत्रों में महिला नेतृत्व का इन सात वर्षों में बहुत तेजी से विकास हुआ है। सरकार की मंशा के अनुरुप महिला सशक्तीकरण के साकार होने पर लैगिंग असमानता को लेकर पूर्वाग्रहों की दीवारें ध्वस्त हुईं हैं और सबको बराबरी के अवसर मिले हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान उत्तर प्रदेश में महिलाओं के लिए शिक्षा के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं, जिससे वे अपने जीवन में सुधार कर सकें। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महिला शिक्षा और कौशल विकास को अपने प्राथमिक एजेंडे में शामिल किया है। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के अंतर्गत प्रदेश में 1.90 करोड़ बेटियों को जागरूक किया गया । इस अभियान के कारण, उत्तर प्रदेश में लड़कियों की संख्या में वृद्धि हुई है और लिंगानुपात में सुधार हुआ है।वहीं,लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा मिला है और वे अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं। इसी प्रकार महिला सशक्तिकरण अभियान के तहत महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है और वे अब अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए आगे आ रही हैं। इससे समाजिक परिवर्तन भी हुआ और लोग अब लड़कियों के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदल रहे हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ने उत्तर प्रदेश में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिला सामर्थ्य योजना इस योजना के माध्यम से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महिलाओं को रोजगार के प्रति प्रेरित तथा उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास किया। प्रदेश सरकार ने फरवरी 2022 में इस योजना को लागू किया और वित्तीय वर्ष 2022-2023 से महिला सामर्थ्य योजना के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया। इस योजना का कार्यान्वयन दो स्तरीय कमेटी के माध्यम से किया गया। राज्य में 90 लाख से अधिक गृह या लघु उद्योग हैं जिनमें महिलाएं बहुत से उद्योगों को चलाती हैं इससे उनकी सहायता होगी। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के माध्यम से 19 लाख 34 हजार बालिकाओं को लाभान्वित कर रही है। इस योजना के तहत लाभार्थी को अब 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपए की धनराशि प्रदान की जा रही है। वहीं, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के माध्यम से 3 लाख 82 हजार से अधिक गरीब परिवारों की कन्याओं का विवाह संपन्न कराने में सफलता प्राप्त हुई है तो 39 हजार से अधिक बीसी सखी द्वारा 26 हजार 853 करोड़ रुपए का वित्तीय लेनदेन और 72 करोड़ 30 लाख का कमीशन भी अर्जित किया गया है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना योगी सरकार प्रदेश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ रही है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत प्रत्येक जनपद से 250 महिलाओं का चयन किया गया और उनको ई रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत बैंक से सस्ती दरों पर ई रिक्शा के लिए लोन दिलाने और 50 हजार रुपए तक की सब्सिडी प्रदान करने की कार्यवाही भी सुनिश्चित की गई है। पहले चरण में प्रदेश की 56,200 महिलाओं को 6 दिन का प्रशिक्षण दिया गया। फेज 2 में 250 महिलाएं प्रति जनपद के हिसाब से 18000 महिलाओं को ई रिक्शा ट्रेनिंग दी गई है। इसमें 10वीं पास 18 से 40 वर्ष की महिलाओं का चयन किया गया। वर्ष 2017 के बाद प्रदेश में डबल इंजन की सरकार स्थापित होने के बाद महिला कल्याण एवं स्वावलंबन के लिए प्रस्तुत की गई योजनाओं की वजह से महिलाएं ज्यादा सुरक्षित हुईं, आत्मनिर्भर हुईं और शिक्षित एवं विभिन्न कौशलों में पारंगत हुईं। परिणामस्वरूप उनकी सभी स्तरों पर भागीदारी बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में चलाये जा रहे मिशन शक्ति जैसे अभियान ने महिलाओं को सशक्त व स्वावलंबी बनाया है। pic.twitter.com/ZPrJAV8BnR — Transforming UP (@transforming_up) July 31, 2024 मिशन शक्ति अभियान मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत प्रदेश की 8.99 करोड़ महिलाओं को जागरुक किया जा चुका है। प्रदेश में 1,89,014 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं और अब इन सभी केंद्रों में कुपोषण मिटाने के लिए निःशुल्क पका भोजन भी प्राप्त होने जा रहा है। प्रदेश में महिला कल्याण के लिए अब तक 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाये गये हैं और उनमें एक करोड़ महिलाओं को जोड़ा गया है। पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत दो लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं। योगी सरकार आने के बाद प्रदेश में सरकारी नौकरियों में अब तक डेढ़ लाख से अधिक महिलाओं को नौकरी प्राप्त हो चुकी है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ के माध्यम से 3.82 लाख से अधिक गरीब परिवारों की कन्याओं का विवाह संपन्न करवाने में सफलता प्राप्त हुई है। वहीं पिछले सात वर्षों में 22 हजार से ज्यादा महिला आरक्षियों की उत्तर प्रदेश में भर्ती की गई। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए 25 जिलों में 10 पशु सखियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे इन महिलाओं की वार्षिक आय में 60 फीसदी से ज्यादा बढ़ोत्तरी होगी। महिला सुरक्षा पर योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने समझ लिया था कि सुरक्षित माहौल के बगैर बहन-बेटियों में आत्मविश्वास जगाया नहीं जा सकता । इसलिए वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री का पदभार संभालते ही सरकार ने महिला अपराधों पर लगाम लगाने की कमर कसी। जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश में महिला सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ। महिला संबंधी अपराधियों को सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना। महिला संबंधी अपराधों में वर्ष 2016 के मुकाबले 2024 में काफी कमी आई। प्रदेश में दहेज मृत्यु के मामलों में 17 फीसदी से ज्यादा, दुष्कर्म के मामलों में 25 फीसदी से ज्यादा तथा अपहरण के मामलों में कमी दर्ज की गई। यही नहीं उत्तर प्रदेश में 60 हजार पुलिस सिपाहियों की भर्ती में महिलाओं के लिए 20 फीसदी सीटें आरक्षित की गईं हैं। प्रदेश के सभी 75 जिलों में वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई है। सुरक्षा, शिक्षा के साथ मिला रोजगार, महिलाएं बनी आत्मनिर्भर योगी आदित्यनाथ जी की सरकार द्वारा प्रदेश की महिलाओं को जब सुरिक्षत माहौल और शिक्षा मिली तो प्रदेश की तस्वीर बदल गई। महिला एवं बालिका कल्याण के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं का परिणाम है कि आज प्रदेश में महिलाओं की आय पहले से अधिक हो गई है। विगत वित्त वर्ष में जुलाई से सितंबर के मध्य ग्रामीण महिलाओं की आय 8,936 रुपये थी जो अप्रैल से जून 23 के बीच 20 हजार से अधिक हो गई है। केंद्र सरकार के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे में उत्तर प्रदेश में महिलाओं की आय में लगातार वृद्धि हो रही है। ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर के अनुसार वर्ष 2017-18 में महिला श्रम बल भागीदारी दर 14.2% थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 32.10% हो गई।। अपने आप स्टार्टअप स्थापित करने में भी यूपी की महिलाओं ने देश में दूसरे नंबर पर स्थान हासिल किया। अपना स्टार्टअप स्थापित कर उद्यम चलाने के मामले में महिलाओं की स्थित में काफी सुधार हुआ। वर्ष 2017 में जहां प्रदेश में महिला स्टार्टअप की संख्या महज 140 थी, वहीं 2024 में महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 1780 हो गई। महाराष्ट के बाद उत्तर प्रदेश ऐसा काम करने वाला देश का दूसरा राज्य है। वहीं पूरे देश में महिलाओं द्वारा संचालित एमएसएमई इकाईयों के मामले में भी उत्तर प्रदेश की महिलाओं की भागीदारी 20 फीसदी से अधिक है। लखनऊ, गोरखपुर और बदायूं में महिला पीएसी बटालियन का गठन किया गया है।प्रदेश भर में 10 हजार से अधिक महिला बीट स्टेशन स्थापित किए गए और महिला पिंक बूथ की भी स्थापना की गई। प्रदेश में 58 हजार बीसी सखी की नियुक्ति की गई। वर्तमान में 38,844 बीसी सखी द्वारा ₹25,502 करोड का लेन-देन किया गया है, जिससे ₹68.43 करोड़ लाभांश अर्जित किया गया। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से एक करोड़ महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया। असंगठित गैरकृषि क्षेत्र के कुल श्रमिकों में प्रदेश में महिलाओं की भागीदारी लगभग 26 फीसदी है। इस लिहाज से महिलाओं को रोजगार देने के मामले में 11 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। ग्रामीण महिलाओं के लिए मनरेगा रोजगार का सबसे बड़ा साधन बना। मनरेगा रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी वर्ष 2024 में बढ़कर 43 फीसदी तक पहुंच गई। शासन और प्रशासन में बढ़ती जा रही महिलाओं की पैठ आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों के साथ राजनीत के क्षेत्रों में प्रदेश की महिलाओं की संख्या बढ़ी है। भारतीय निर्वाचन आयोग के अनुसार प्रदेश के कुल मतदाताओं में महिलाओं की भागीदारी 47 फीसदी तक पहुंच गई हैं। इस समय उत्तर प्रदेश से चार महिलाएं लोकसभा चुनाव जीती हैं जबकि पांच महिलाएं राज्यसभा में हैं। प्रदेश की विधान सभा महिला विधायकों की संख्या 48 है जबकि योगी कैबिनेट में पांच महिलाओं को मंत्री पद मिला है। इनमें से एक कैबिनेट मंत्री, एक राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और बाकी तीन राज्य मंत्री हैं। प्रदेश के छह महानगरों में महिलाएं मेयर हैं। प्रदेश के 75 में से 42 जिला पंचायत अध्यक्ष का पद महिलाएं संभाल रहीं हैं। प्रदेश के 825 ब्लाक प्रमुख के पदों में 50 फीसदी से ज्यादा 439 पर महिलाओं का कब्जा हैं। ग्राम प्रधान के 58,176 पदों में से 31,212 पदों पर महिलाओं ने जीत हासिल की है। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने पंचायत चुनावों में जीत हासिल की है। इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चलाए जा रहे महिला सशक्तीकरण अभियान की भूमिका बताई जा रही है।वर्तमान में प्रदेश के 75 जिलों में 14 महिला डीएम हैं। जो 2022 में 12 से बढ़कर 16 प्रतिशत से लगभग 18 प्रतिशत हो गई हैं।