धर्म, अध्यात्म, तप, संस्कृति, ज्ञान और सांस्कृतिक धरोहरों को स्वंय में सहेजे उत्तर प्रदेश की धरती पर्यटन के लिहाज से बहुत समृद्ध है। रामायाण, महाभारत और बुद्धिस्ट सर्किट प्रदेश के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। यह प्रदेश धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां की धार्मिक नगरियों में हर साल देशी-विदेशी सैलानी मन में आस्था लिए पहुंचते हैं। प्रदेश की जीएसडीपी में भी पर्यटन का योगदान 12 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार इसे बढ़ाकर 20 फीसदी तक ले जाना चाहती है। वर्ष 2017 के पश्चात उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही में दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है। उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में बहुत तेजी से विकास कर रहा है. पर्यटन स्थलों के साथ-साथ पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। अयोध्या का विश्व की सुंदरतम नगरी के रूप में विकास हो रहा है। पहले जहां आते थे लाखों पर्यटक अब पहुंच रहे हैं करोड़ों भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या, भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी घरेलू पर्यटकों के लिए हमेशा से पहली पसंद रहा है। वहीं चित्रकूट, विध्यांचल और गंगा-यमुना और सरस्वती जैसी नदियों का संगम प्रयागराज भी प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शामिल है। मथुरा भगवना कृष्ण की जन्मभूमि और वृंदावन के मंदिर, कासगंज के सोरों में भगवान वारह मंदिर, लखीमपुर खीरी में गोला गोकरणनाथ मंदिर, सीतापुर में चक्रतीर्थ नैमिषराण्य, अयोध्या में भगवाना श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, कनक भवन, देवरिया में बाबा सोमनाथ जी मंदिर, चित्रकूट में कमादिगिर पर्वत, गोंडा में अरगा पार्वती मंदिर, सोनभद्र में रेणुकेश्वर महादेव मंदिर, सुल्तानपुर में सीतावुंड घाट, प्रतापगढ़ में बेल्हा देवी मंदिर, मुजफ्फरनगर में शुक्रताल का प्रचीन शिव मंदिर, कुशीनगर में माथाकुंअर बुद्ध प्रतिमा, सहारनपुर में शाकुंभरी देवी मंदिर, मिर्जापुर में विंध्यवासिनी मंदिर, बलिया में भृगु मंदिर, महोबा में मकरबाई मंदिर, फर्रूखाबाद में कपिल मुनि आश्रम, रामेश्वरधाम मंदिर एवं भेदवुंड, प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम, गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर, इटावा में दिगंबर जैन मूर्तियां, कुशीनगर एंव सिद्धार्थ नगर में बौद्ध स्तूप, बलरामपुर में देवीपाटन माता का मंदिर, संत रविदास नगर में सीता समाधि स्थल, संत कबीर नगर में संत कबीर निर्वाण स्थल, ललितपुर में दशावातार मंदिर, मेरठ के हस्तिनापुर में दानतीर्थ व औघणनाथ मंदिर, जालौन में व्यास टीला एवं नरसिंह टीला आदि प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल हैं। यहां प्रतिवर्ष करोड़ों तीर्थयात्री देश-दुनिया से आते हैं। घरेलू पर्यटन के लिहाज से इन तीर्थस्थलों पर प्रतिवर्ष यहां करोड़ों लोगों की आवाजाही होती है। बौद्ध और जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थल कुशीनगर में रामाभार स्तूप, जहाँ गौतम बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था, उनके अंतिम उपदेश का स्थल है और वह स्थान है जहाँ उन्होंने 483 ईसा पूर्व में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। यह दुनिया भर के बौद्धों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है, लेकिन विशेष रूप से एशियाई देशों के लोग अपने जीवन में कम से कम एक बार यहाँ आना सुनिश्चित करते हैं। आध्यात्मिक समृद्धि के लिए कुशीनगर में कई मंदिरों का दौरा किया जा सकता है। महापरिनिर्वाण स्तूप में गौतम बुद्ध का अंतिम विश्राम स्थल इस सुरम्य शहर का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। पश्चिमी राप्ती नदी पर स्थित श्रावस्ती में गौतम बुद्ध ने उपदेश देना शुरू किया था। यह शहर विशेष रूप से गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ा हुआ है क्योंकि कहा जाता है कि उन्होंने यहाँ 25 मानसून बिताए थे। सारनाथ सारनाथ वह पवित्र स्थल है जहाँ भगवान बुद्ध ने "धर्म चक्र प्रवर्तन" की स्थापना की थी। यह पवित्र स्थान वाराणसी से 10 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है। सारनाथ पहले मठ के निर्माण और धार्मिक दर्शन (धम्म) की एक नई प्रणाली की स्थापना का स्थल भी है। सारनाथ को जैन धर्म के लोग तपस्या स्थल और 11वें तीर्थंकर श्रेयमशनाथ की समाधि स्थल के रूप में भी पूजते हैं। चौखंडी स्तूप वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने पहली बार अपने अनुयायियों को इकट्ठा किया था। श्रावस्ती जैन अनुयायियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है क्योंकि शोभनाथ मंदिर को तीर्थंकर संभवनाथ का जन्मस्थान माना जाता है। हस्तिनापुर मेरठ के पास गंगा के तट पर स्थित संभवतः तीन जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली है। यह जैनियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है। सरयू नदी के तट पर बसा अयोध्या भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक है। अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि कहा जाता है। अपने शांत घाटों के साथ, यह स्थान जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों (धार्मिक गुरुओं) में से 4 का घर भी है। बीते दशक में दोगुना हुआ घरेलू पर्यटन, यूपी देश में अव्वल वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश में घरेलू पर्यटकों की संख्या 16.94 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2022 तक 31.70 करोड़ पहुंच गई। अयोध्या और काशी आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद तो अयोध्या पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी तेजी आई है। वर्ष 2023 में अयोध्या में लगभग 5.76 करोड़ और काशी में लगभग 8.55 करोड़ लोगों ने भ्रमण किया। उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-22 के बाद सुविधाओं का विस्तार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश के पयर्टन स्थलों के विकास के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति- 2022 लाई। नई पर्यटन नीति के अंतर्गत भगवान राम से जुड़े सभी स्थलों को रामायण सर्किट, भगवान कृष्ण से जुड़े धार्मिक स्थलों को कृष्ण सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है। रामायण सर्किट में नए पर्यटन गंतव्यों जैसे अयोध्या, चित्रकूट, बिठूर आदि का विकास किया जा रहा है। इसी तरह कृष्ण सर्किट में मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना, नंदगाँव, बलदेव आदि धार्मिक स्थलों तथा बुद्धिस्ट सर्किट में कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, कौशांबी, श्रावस्ती, रामग्रामआदि का विकास एवं सुंदरीकरण किया जा रहा है। पर्यटकों के लिए होटल, परिवहन एवं भ्रमण जैसी सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। इसके बाद जहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, वहीं इस सेक्टर में रोजगार के भी तमाम अवसर पैदा होंगे। अयोध्या और काशी में पर्यटकों की आवाजाही का बना कीर्तिमान वर्ष 2023 में अयोध्या में लगभग 5.76 करोड़ और काशी में लगभग 8.55 करोड़ लोग भ्रमण किया। यह संख्या वर्ष 2022 में आयोध्या में पहुंचे पर्यटकों से लगभग 3.36 करोड़ और काशी में पहुंचे पर्यटकों की संख्या से लगभग 1.42 करोड़ अधिक है। घरेलू पर्यटन के मामले में उत्तर प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। वर्ष 2022 में प्रदेश में 31.85 करोड़ पर्यटक आए थे। यह संख्या वर्ष 2021 से लगभग 180 प्रतिशत ज्यादा है। वर्ष 2022 में अयोध्या में कुल 2.39 करोड़ पर्यटक आए थे। इसमें 2.39 करोड़ घरेलू और 1,465 विदेशी थे। अयोध्या में वर्ष 2023 में 5.7 करोड़ लोगों ने भ्रमण किया। इसमें 5.7 घरेलू और 8,468 विदेशी पर्यटक थे। काशी में वर्ष 2022 में कुल 7.12 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे। इसमें 7.11 करोड़ घरेलू और 83,741 विदेश से आने वाले सैलानी थे। यहां वर्ष 2023 में कुल 8.5 करोड़ पर्यटक पहुंचे, जिसमें 8.52 करोड़ घरेलू और 201,904 विदेश से आने वाले पर्यटक थे। काशी में वर्ष 2022 की तुलना में 2023 में 1.18 लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक बढ़े हैं। इसी तरह अयोध्या में वर्ष 2022 में 1,465 जबकि 2023 में 8,468 विदेशी पर्यटक आए थे। इस हिसाब से सात हजार पर्यटक बढ़ गए। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2012 की अपेक्षा 2017 के बाद पर्यटकों की संख्या में बहुत ज्यादा तेजी आई है। उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इसका परिणाम है कि बीते वर्षों में प्रदेश में धार्मिक पर्यटन काफी तेजी से बढ़ा है। #NayeBharatKaNayaUP pic.twitter.com/j5QqMNdrZz — Government of UP (@UPGovt) August 24, 2024 उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ता पर्यटन वर्ष घरेलू पर्यटक विदेशी पर्यटक 2012 16,94,48,596 29,89,347 2013 22,78,18,408 32,05,760 2014 18,42,77,423 29,09,735 2015 20,65,15,617 31,04,060 2016 21,35,44,204 31,56,812 2017 23,39,77,619 35,56,204 2018 28,50,79,848 37,80,752 2019 53,58,55,162 47,45,181 2020 8,61,22,293 8,90,932 2021 10,97,08,435 44,737 2022 31,79,13,587 6,48,986 माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की पर्यटन नीति की वजह से ही वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश में कुल 48 करोड़ घरेलू और विदेशी पर्यटक पहुंचे थे। वर्ष 2024-25 पर्यटकों की संख्या को बढ़ाकर 80 करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है। पर्यटन विकास के लिए उत्तर प्रदेश में हाईवे, एक्सप्रेसवे और एयरपोर्ट की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी की जा रही है। एक्सप्रेसवे बनने से प्रदेश के किसी भी हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचना सुगम हो गया है। सख्त कानून-व्यवस्था भी बढ़ते पर्यटकों की संख्या का बहुत बड़ा कारण है। माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की दूरदर्शिता है कि वो पर्यटन को अपनी प्राथमिक नीतियों में रखते हैं। उन्हें पता है कि पर्यटन से ना केवल प्रदेश को राजस्व मिलेगा बल्कि प्रदेश के लाखों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।