प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पिछले सात वर्षों में नए भारत के ग्रोथ इंजन के रूप में उभरा है। राज्य में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचागत विकास हुआ है। 25 करोड़ की आबादी वाला राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा श्रम बाजार है। प्रदेश में देश के 55% एक्सप्रेस वे और सबसे अधिक हवाई अड्डे हैं। उत्तर प्रदेश ने एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। 7 वर्ष पहले यह प्रदेश एक बीमारू राज्य और देश के विकास का बैरियर माना जाता था, आज उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य के धब्बे से मुक्त होकर अनलिमिटेड पोटेंशियल वाले राज्य के रूप में स्थापित हुआ है। यह 'उत्तम प्रदेश' से 'उद्यम प्रदेश' बनने की ओर अग्रसर है।उत्तर प्रदेश में आज जल, थल और नभ की बेहतरीन कनेक्टिविटी है। निवेश अनुकूल 27 इंडस्ट्रियल सेक्टर पॉलिसी हर सेक्टर के निवेशकों की जरूरतों को पूरा करने वाला है। आधारभूत ढांचे में सुधार कर दी विकास को रफ्तार चाहे वह रोड हो, रेल हो, मेट्रो, हवाई कनेक्टिविटी के ढांचे का विकास हो या फिर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, डिफेंस कॉरिडोर, रिलीजियस टूरिज्म, हेल्थ टूरिज्म के ढांचे का विकास। योगी सरकार ने बुनियादी ढांचा प्रबंधन में उत्तर प्रदेश को अमलीजामा पहनाने के लिए जिस प्रतिबद्धता के साथ काम किया है वह अपने आप में अनूठा है। उत्तर प्रदेश जल्द ही भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जिसके पास 21 हवाई अड्डे होंगे जिसमें पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश ने दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरीडोर (डीएमआईसी) और पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरीडोर (ईडीएफसी) जैसे इंडस्ट्रियल कॉरीडोर को सक्रिय तौर पर प्रोत्साहित किया है।पूरे प्रदेश में कनेक्टिविटी सड़क, हवाई सेवा, मेट्रो का पूरा जाल ही बिछा दिया है। साल 2017 में प्रदेश में 8364 किमी लंबे कुल 48 राष्ट्रीय राजमार्ग थे, जबकि 2024 में इनकी संख्या बढ़कर 93 हो गई और इन राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई बढ़कर 12,733 किमी हो गई है। ये एक्सप्रेस-वे आने वाले वक्त में उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों और निर्यात केंद्रों को जोड़ेंगे जो आम आदमी को कम समय में बेहतर व आरामदेह सफर की सुविधा देने के साथ-साथ माल ढुलाई में भी मदद करेंगे। देश में निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है उत्तर प्रदेश बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार और दूरदर्शी नीतियों की वजह से उत्तर प्रदेश आज देश में निवेश की ड्रीम डेस्टिनेशन बना है। फरवरी 2018 में पहली बार यूपी इन्वेस्टर्स समिट में ₹ 4.28 लाख करोड़ के 1,045 एमओयू के बाद जुलाई 2018 में ₹ 61,792 करोड़ के निवेश के साथ 81 परियोजनाओं की सफल लॉन्चिंग मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी के संकल्प से सिद्धि का परिणाम है। वर्ष 2019 में ₹ 67,202 करोड़ की 290 परियोजनाएं तथा जून 2022 में हुई तीसरी जीबीसी में ₹ 80 हजार करोड़ की 1,400 से अधिक परियोजनाओं का शुभारंभ कर योगी सरकार ने दिखा दिया कि इच्छाशक्ति हो तो फिर किसी भी चुनौती से निपटा जा सकता है। इन सफलताओं को पाने के बाद अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने फरवरी 2023 में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 (यूपी जीआईएस) का आयोजन किया। इसमें में ₹ 40 लाख करोड़ के एमओयू हुए। वर्ष 2024 में योगी सरकार ने चौथी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में ₹ 10 लाख करोड़ की निवेश परियोजनाओं को धरातल पर उतार कर पूरे देश के लिए अपनी कार्यशैली का आदर्श प्रस्तुत किया। सरकार के इस कदम से वैश्विक स्तर पर उत्तर प्रदेश की छवि में जबरदस्त सुधार हुआ। शायद इसी वजह से यूपी अब देश के अचीवर्स स्टेट की सूची में शामिल हो गया। 7वीं से देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना उत्तर प्रदेश देश की जीडीपी में 9.2 प्रतिशत योगदान के साथ उत्तर प्रदेश देश की दूसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप उभरा है। देश की जीडीपी में हिस्सेदारी के मामले में उत्तर प्रदेश ने तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। पिछले 7 वर्षों में उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी है। प्रदेश में 56 लाख से अधिक गरीब आवासहीन परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराया गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 14वें स्थान से दूसरे स्थान पर आ चुका है। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश ₹ 2 लाख करोड़ से अधिक का निर्यात कर रहा है। बैंकों का ऋृण-जमा अनुपात 42-43 प्रतिशत से बढ़कर 56 प्रतिशत को पार कर चुका है और इसे 60 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है। साल दर साल विकास की रफ्तार के साथ यूपी के बजट का आकार भी बढ़ता गया। वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्रदेश का बजट जहां ₹ 3.46 लाख करोड़ का था वहीं 2024-25 का बजट इसके दोगुने से भी अधिक ₹ 7.36 लाख करोड़ का हो गया। यूपी के सकल घरेलू राज्य उत्पाद (जीएसडीपी) की बात करें तो 2016-17 में प्रदेश की जीएसडीपी जहां मात्र ₹ 12.75 लाख करोड़ थी, वहीं 2024-25 की जीएसडीपी ₹ 25 लाख करोड़ हो गई है। औद्योगिकीकरण ने युवाओं के लिए खोला संभावनाओं का द्वार प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का औद्योगिकीकरण का विजन कारगर रहा। सरकार ने पिछले सात वर्षों में साढ़े छह लाख से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी प्रदान की है। वहीं, 3 करोड़ से अधिक युवाओं को संविदा पर नौकरियां उपलब्ध कराई हैं। सभी युवाओं को सरकारी नौकरी मिलना संभव नहीं है, यह तथ्य सर्वविदित है। ऐसे में निवेश प्रस्ताव को धरातल पर उतारने से 5000 से ज्यादा औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू हुआ। परिणामस्वरूप लगभग 40 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। युवाओं को रोजगार मिला तो आर्थिक स्थितियों में भी सुधार हुआ और संभावनाओं के द्वार खुले। यह सब माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश जिसकी पहचान एक गुंडा प्रदेश के तौर पर होती थी उसे बदलकर विकास प्रदेश की कर दी है। सूबे की कानून-व्यवस्था कड़ी कर माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेशकों के लिए प्रदेश के दरवाजे खोलने का काम किया है। उत्तर प्रदेश सरकार की औद्योगिक नीति निवेशकों के हित में बनाई गई है और इसमें तमाम सहूलियतें निवेशकों को प्रदेश सरकार की तरफ से दी गई हैं। यही वजह है कि 7 साल में उत्तर प्रदेश ने विकास की सीढ़ियां इतनी तेजी से चढ़ी हैं कि वो देश में दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है और आने वाले कुछ साल में उत्तर प्रदेश भारत का नंबर 1 अर्थव्यवस्था वाला राज्य होगा।