प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और कला शिक्षा में सुधार लाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने 20 अगस्त 2024 को गोरखपुर स्थित चरगावां ब्लॉक से "रोड टू स्कूल" प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया है। मूल रूप से यह प्रोजेक्ट प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग, प्रमुख औद्योगिक घराना हिंदुजा समूह की अशोक लीलैंड लिमिटेड और लर्निंग लिंक फाउंडेशन की मिली जुली पहल है। कई बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप भी सरकार की इन गतिविधियों का हिस्सा बनने की तैयारी कर रहे हैं। क्या है योगी सरकार का 'रोड टू स्कूल' प्रोजेक्ट 'रोड टू स्कूल' प्रोजेक्ट दरअसल 1 जुलाई 2017 को लखनऊ के कुकरैल से शुरू किया गया यह 'स्कूल चलो अभियान' का ही अगला चरण है। आंकड़ों पर गौर करें तो 'स्कूल चलो अभियान' के 7 साल की उपलब्धि प्रशंसनीय है जिसके तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने, ड्रॉप आउट रोकने, बच्चों में पठन-पाठन के प्रति रुचि बढ़ाने को लेकर कार्य किया गया। इस कार्यक्रम की सफलता का अंदाजा इस बात से सहज ही लगाया जा सकता है कि बच्चों के नामांकन की जो संख्या जुलाई 2017 में 1 करोड़ 34 लाख थी, वह आज बढ़कर 1.92 करोड़ को पार कर गई है। अब 'रोड टू स्कूल' प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों (कक्षा 1 से 8 तक) के छात्रों में सीखने की संस्कृति पर कार्य करेगा और छात्रों के समग्र विकास के लिए एक आधारभूत ढांचा तैयार करेगा। विषय की अभिव्यक्ति विकसित करने का अनूठा प्रयास 'रोड टू स्कूल' बच्चों को उदाहरण देकर सिखाने का एक अभिनव कार्यक्रम है जो बच्चों के शत प्रतिशत नामांकन, कक्षा में उनकी नियमित उपस्थिति और आगे की कक्षाओं में प्रवेश के लिए प्रयास करता है। इसका मूल मकसद बच्चों के बीच आधारभूत शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और कला शिक्षा में सुधार करना है। निपुण भारत मिशन के अनुसार यह प्रोजेक्ट बुनियादी शिक्षा स्तरों में सुधार करने के लिए काम करेगा। मसलन बच्चों में विज्ञान और गणित को लेकर दिलचस्पी बढ़े और उनमें विषय की अभिव्यक्ति विकसित हो। बच्चों के समग्र स्वास्थ्य विकास को लेकर इस प्रोजेक्ट में सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और पर्यावरणीय कल्याण पर आधारित पाठ्यक्रम संचालित होंगे। कार्यक्रम को दो चरणों में लागू किया जा रहा है। पहले चरण में चरगावां ब्लॉक के सभी 78 स्कूलों को शामिल किया गया है। इसमें 17,781 छात्रों को प्रोजेक्ट का लाभ मिलेगा। दूसरा चरण 2 जून 2025 से शुरू किया जाएगा जिसमें भटहट ब्लॉक के शेष सभी 90 स्कूलों को कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसमें 16,434 छात्र लाभान्वित होंगे। स्कूलों में स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम गतिविधियों को लागू करने के लिए 5 प्रोजेक्ट एसोसिएट को तैनात किया जाएगा। सभी स्कूलों को शिक्षण सहायक सामग्री, स्पोर्ट्स किट और मैथमेटिक्स किट प्रदान की जाएगी। 'रोड टू स्कूल' कार्यक्रम, 'स्कूल चलो अभियान' का ही एक नया रूप है... pic.twitter.com/oq44Socd33 — Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 20, 2024 पठन-पाठन के साथ खेल और कला शिक्षा पर फोकस 'रोड टू स्कूल' प्रोजेक्ट के तहत कक्षा एक से आठ तक के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम में आधारभूत शिक्षा के अंतर्गत शिक्षा के बुनियादी स्तरों में सुधार लाना शामिल है। इसमें खेलो इंडिया कार्यक्रम के पाठ्यक्रम का कार्यान्वयन भी सुनिश्चित किया जाएगा, जबकि कला शिक्षा को बढ़ावा देना और बुनियादी जीवन कौशल का विकास करना पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। कार्यक्रम के अपेक्षित परिणामों में छात्रों में आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता में सुधार लाना, 100 प्रतिशत छात्रों के नामांकन को बनाए रखने और आगे की कक्षाओं में बढ़ाने के लिए कार्य करना, प्राथमिक से माध्यमिक और माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में स्थानांतरण, 100 प्रतिशत छात्रों को स्वास्थ्य व स्वच्छता से अवगत कराना और शिक्षकों की क्षमता वर्धन तथा शिक्षकों द्वारा अपनी कक्षाओं में कार्यक्रम के दृष्टिकोण को अपनाना शामिल है। 2017 से पहले भविष्य की बुनियाद से हुआ इतना खिलवाड़ कि... बात स्कूल चलो अभियान की करें या फिर रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट की, ये सवाल बड़ा ही मौजू हो जाता है कि माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने और फिर स्कूली शिक्षा पूरी होने तक जुड़े रहने के लिए इतनी मशक्कत क्यों करनी पड़ रही है? आखिर वो कौन सी वजह थी कि 2017 से पहले बड़ी संख्या में गरीब बच्चे स्कूल तक पहुंच नहीं पाते थे और जो किसी तरह से पहुंच भी जाते थे वह आगे की कक्षाओं में बने नहीं रह पाते थे? दरअसल, मार्च 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के अधिकांश परिषदीय स्कूलों के भवन जर्जर हाल में थे, बैठने की व्यवस्था नहीं होती थी, स्कूल भवन में लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट नहीं थे, पेयजल की सुविधा नहीं थी। आधे से अधिक लड़कियां नंगे पैर स्कूल जाती थीं। लड़कों में भी यह संख्या 40 फीसदी के आसपास थी। यूनिफॉर्म एक तो अच्छी गुणवत्ता की नहीं होती थी और जो यूनिफॉर्म मिलती भी थी वो भी सत्र खत्म होने के बाद। ऐसे में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जब प्रदेश की कमान संभाली, इस बात को बड़ी शिद्दत से महसूस किया कि जिन बच्चों के प्रति पहले की सरकार इतनी लापरवाह रही है, वह केवल एक मासूम बच्चे को लेकर की जाने वाली लापरवाही नहीं है, हम सब अपने भविष्य के प्रति लापरवाही कर रहे हैं। लिहाजा योगी सरकार ने 1 जुलाई 2017 को स्कूल चलो अभियान और आधे दशक के बाद 20 अगस्त 2024 को रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट की शुरूआत कर भविष्य निर्माण की बुनियाद को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कार्य किया है। नतीजा सबके सामने है। एक तरफ जहां परिषदीय स्कूलों में बच्चों की आवक बढ़ी है वहीं बच्चे आगे की कक्षाओं में पढ़ाई के लिए टिक भी रहे हैं।